Tag: entertainment

करन हरिहरन और पानी और कश्यप ने कहा ’प्यार है तो है’
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करन हरिहरन और पानी और कश्यप ने कहा ’प्यार है तो है’

Karan Hariharan & Paanie Kashyap’प्यार है तो है’ की स्टार कास्ट करन हरिहरन और पानी  कश्यप ने फ़िल्म  को मुंबई में किया प्रमोटबॉलीवुड की प्यार भरी दुनिया में फ़िल्म ‘प्यार है तो है’ जल्द ही दर्शकों के बीच दस्तक देने जा रही है जिसके जरिए अभिनेता करण हरिहरण और अभिनेत्री पानी कश्यप अपना बॉलीवुड डेब्यू करने जा रहे हैं. आज फिल्म के कलाकारों ने मीडिया को सम्बोधित किया  जिसमें उन्होंने अपने फिल्म के दौरान हुए अनुभवों को साझा किया. यह अरमान और निम्मों की कहानी है . जहां दोनों एक दूसरे से प्यार है तो है यह एक स्टेटमेंट फिल्म के माध्यम से प्रस्तुत कर रहे है. फ़िल्म ‘प्यार है तो है’ के वीडियो में करण हरीहरण और पानी कश्यप की जादुई केमेस्ट्री देखने को मिलेगी.जब से फिल्म ‘प्यार है तो है’ के ट्रेलर को महानायक अमिताभ बच्चन ने इस फिल्म का ट्...
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‘मेलोडी ऑफ़ होप’: महावीर प्रॉपर्टीज़ ने प्रस्तुत किया उदयपुर का सबसे बड़ा पॉप म्यूज़िक इवेंट, काकी सिंगर हुई शामिल।

 काकी, जेबर्ड, अद्भुत फायर आर्टिस्ट और कई अन्य बेहतरीन कलाकारों के साथ महावीर प्रॉपर्टीज़ ने महावीर शांति विलास का उद्घाटन करते हुए प्रस्तुत किया उदयपुर का सबसे बड़ा पॉप म्यूज़िक इवेंट।नई दिल्ली (भारत), 7 अगस्त: विज्ञान के अनुसार एक इंसानी दिमाग अपना 70% समय पुरानी यादों को फिरसे जीने में बिताता है, ज़ाहिर है क्योंकि कुछ यादें होती ही ऐसी है जो भुलाए नहीं भूलती, कभी वो हमारे करीबी दोस्तों के साथ बिताए वो पल होते हैं जब हम खुलकर हँसें थे, कभी वो शर्मनाक पल जब हम उन्हीं दोस्तों के सामने खुलकर रोए थे, कभी वो रेडियो पर सुने पुराने गानों के साथ वाली चाय की चुस्की है तो कभी वो चार राते जाग कर करी गई लेट नाइट स्टडी सेशन की यादें हैं। पर एक बात तो तय है, अच्छी या बुरी, ये पल वो पल है जब हम खुलकर जीए हो। और जब खुलकर जीने की बात आती है तो उसमें संगीत कैसे शामिल न हो? जी हां, एक ऐसी ही खुलकर ...
‘मेलोडी ऑफ़ होप’: महावीर प्रॉपर्टीज़ ने प्रस्तुत किया उदयपुर का सबसे बड़ा पॉप म्यूज़िक इवेंट, काकी सिंगर हुई शामिल।
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‘मेलोडी ऑफ़ होप’: महावीर प्रॉपर्टीज़ ने प्रस्तुत किया उदयपुर का सबसे बड़ा पॉप म्यूज़िक इवेंट, काकी सिंगर हुई शामिल।

 काकी, जेबर्ड, अद्भुत फायर आर्टिस्ट और कई अन्य बेहतरीन कलाकारों के साथ महावीर प्रॉपर्टीज़ ने महावीर शांति विलास का उद्घाटन करते हुए प्रस्तुत किया उदयपुर का सबसे बड़ा पॉप म्यूज़िक इवेंट।नई दिल्ली (भारत), 7 अगस्त: विज्ञान के अनुसार एक इंसानी दिमाग अपना 70% समय पुरानी यादों को फिरसे जीने में बिताता है, ज़ाहिर है क्योंकि कुछ यादें होती ही ऐसी है जो भुलाए नहीं भूलती, कभी वो हमारे करीबी दोस्तों के साथ बिताए वो पल होते हैं जब हम खुलकर हँसें थे, कभी वो शर्मनाक पल जब हम उन्हीं दोस्तों के सामने खुलकर रोए थे, कभी वो रेडियो पर सुने पुराने गानों के साथ वाली चाय की चुस्की है तो कभी वो चार राते जाग कर करी गई लेट नाइट स्टडी सेशन की यादें हैं। पर एक बात तो तय है, अच्छी या बुरी, ये पल वो पल है जब हम खुलकर जीए हो। और जब खुलकर जीने की बात आती है तो उसमें संगीत कैसे शामिल न हो? जी हां, ए...
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पंचकृति – फाइव एलिमेंट्स : ग्रामीण भारत को दर्शाती फिल्म का ट्रेलर रिलीज़ हुआ

Poster of Panch Kriti Five elements‘पंचकृति – फाइव एलिमेंट्स’ पांच सामजिक कहानियों को एक धागे में पिरोती है एन्थोलॉजी फिल्ममुंबई (महाराष्ट्र) [भारत], 19 जुलाई: भारत के गाँव और छोटे शहरों को कहानियों पर कई फिल्में बनी हैं। लेकिन इनमें से कुछ ही फिल्में ऐसी हैं जिन्होंने ग्रामीण भारत को सही तरीके से दर्शाया है। ‘पंचकृति – फाइव एलिमेंट्स’, जिसका ट्रेलर आज लॉन्च हुआ है, बुंदेलखंड के चंदेरी शहर में स्थित पांच कहानियों पर आधारित है । ट्रेलर देख कर दर्शकों के मन यह विश्वास ज़रूर पैदा होता है कि फिल्म के रचयिताओं ने ग्रामीण भारत को उसके सच्चे स्वरुप में दर्शाया है।  फिल्म की खासियत यह भी है कि यह किसी सेट पर नहीं बुंदेलखंड के विभिन्न हिस्सों में फिल्मायी गयी है।  असल लोकेशन की फ़िल्मिंग करने के महत्व को समझाते हुए निर्देशक संजोय भार्गव कहते हैं, “सेट पर बनी फिल्में कभी सच्ची या ‘रीयल’ ...
पंचकृति – फाइव एलिमेंट्स :  ग्रामीण भारत  को दर्शाती फिल्म का ट्रेलर रिलीज़ हुआ
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पंचकृति – फाइव एलिमेंट्स : ग्रामीण भारत को दर्शाती फिल्म का ट्रेलर रिलीज़ हुआ

Poster of Panch Kriti Five elements‘पंचकृति – फाइव एलिमेंट्स’ पांच सामजिक कहानियों को एक धागे में पिरोती है एन्थोलॉजी फिल्ममुंबई (महाराष्ट्र) [भारत], 19 जुलाई: भारत के गाँव और छोटे शहरों को कहानियों पर कई फिल्में बनी हैं। लेकिन इनमें से कुछ ही फिल्में ऐसी हैं जिन्होंने ग्रामीण भारत को सही तरीके से दर्शाया है। ‘पंचकृति – फाइव एलिमेंट्स’, जिसका ट्रेलर आज लॉन्च हुआ है, बुंदेलखंड के चंदेरी शहर में स्थित पांच कहानियों पर आधारित है । ट्रेलर देख कर दर्शकों के मन यह विश्वास ज़रूर पैदा होता है कि फिल्म के रचयिताओं ने ग्रामीण भारत को उसके सच्चे स्वरुप में दर्शाया है।  फिल्म की खासियत यह भी है कि यह किसी सेट पर नहीं बुंदेलखंड के विभिन्न हिस्सों में फिल्मायी गयी है।  असल लोकेशन की फ़िल्मिंग करने के महत्व को समझाते हुए निर्देशक संजोय भार्गव कहते हैं, “...
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फिल्म ‘पंचकृति – फाइव एलिमेंट्स’ में देश की समृद्ध परंपराओं और संस्कृति की झलक

फिल्म ‘पंचकृति – फाइव एलिमेंट्स’ का फिल्मांकन और उसकी कहानी कई मायनों में एक सिनेमाई क्रांति लाएगी। यह पांच अलग-अलग दिलचस्प और बेहतरीन कहानियों पर आधारित है, जो आपस में संबंधित है। इसे चंदेरी जैसे छोटे से शहर  की पृष्ठभूमि में स्थापित किया गया है। यह फिल्म एक मिश्रित कहानियों को कहने का एक अनोखा और साहसिक मार्ग है। इस कथा का मूल बुन्देलखंड में चंदेरी नाम का एक छोटा सा शहर है, जो भारत के मध्य प्रदेश राज्य में फैला एक पहाड़ी इलाका है। बुन्देलखण्ड अपनी भौगोलिक सुंदरता और समृद्ध संस्कृति के लिए लोकप्रिय है। इतिहास इस बात के उदाहरणों से भरा पड़ा है कि कैसे इस क्षेत्र की विशिष्ट सांस्कृतिक विशेषताएँ पूरे देश को ताकत देती हैं। फिल्म की पांच कहानियां वास्तविक घटनाओं पर आधारित हैं। इस फिल्म की कहानी विचारोत्तेजक है, जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगी। सिनेमैटोग्राफी शानदार है और फिल्म का संगीत बेहद मधु...
फिल्म ‘पंचकृति – फाइव एलिमेंट्स’ में देश की समृद्ध परंपराओं और संस्कृति की झलक
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फिल्म ‘पंचकृति – फाइव एलिमेंट्स’ में देश की समृद्ध परंपराओं और संस्कृति की झलक

फिल्म ‘पंचकृति – फाइव एलिमेंट्स’ का फिल्मांकन और उसकी कहानी कई मायनों में एक सिनेमाई क्रांति लाएगी। यह पांच अलग-अलग दिलचस्प और बेहतरीन कहानियों पर आधारित है, जो आपस में संबंधित है। इसे चंदेरी जैसे छोटे से शहर  की पृष्ठभूमि में स्थापित किया गया है। यह फिल्म एक मिश्रित कहानियों को कहने का एक अनोखा और साहसिक मार्ग है। इस कथा का मूल बुन्देलखंड में चंदेरी नाम का एक छोटा सा शहर है, जो भारत के मध्य प्रदेश राज्य में फैला एक पहाड़ी इलाका है। बुन्देलखण्ड अपनी भौगोलिक सुंदरता और समृद्ध संस्कृति के लिए लोकप्रिय है। इतिहास इस बात के उदाहरणों से भरा पड़ा है कि कैसे इस क्षेत्र की विशिष्ट सांस्कृतिक विशेषताएँ पूरे देश को ताकत देती हैं। फिल्म की पांच कहानियां वास्तविक घटनाओं पर आधारित हैं। इस फिल्म की कहानी विचारोत्तेजक है, जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगी। सिनेमैटोग्राफी शानदार है और ...
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ज्यादा पैसा कमाने की लत में मिली ‘अपनों की बेवफाई ‘

पैसा ज़िंदगी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है उसके  बिना ढंग से जीवन यापन नहीं किया जा सकता. इस कटु सच्चाई को हम झुठला नहीं सकते .मगर कम समय में और गलत तरीकों से ज्यादा पैसा कमाए जाने का कभी कभी इतना बड़ा खामियाजा  भुगतना पड़ता है कि खासी दुनियां और अपने बेगाने तक हो जाता हैं  यही मर्म है  निर्माता पियूष शाह और  अष्ठविनायक इंटरप्राइसेस कृत फिल्म ‘अपनों से बेवफाई ‘. सार्थक सिनेमा के पक्षधर और बामक़सद फिल्मों के दिग्गज अभिनेता  इरफ़ान की इस आखिरी  फिल्म का.विशाल  मुम्बईया फिल्मों का एक बेह्तरीन एक्टर है मगर उसके बड़े बड़े ख्वाब और कम समय में सुपर स्टार बनने की चाह और झटके में अमीर बनने के नशे को कुदरत का  ग्रीन सिंग्नल नहीं मिला लम्बे चौड़े खर्चों की वजह से उसकी ज़िंदगी एक हाशिये पर आकर रुक जाती है .जिसकी वजह से उसका फ्रस्टेशन बढ़ जाता है आखिरकार ज्यादा पैसा कम समय में कमाने की लत में वो गलत रा...
ज्यादा पैसा कमाने की लत में मिली ‘अपनों की बेवफाई ‘
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ज्यादा पैसा कमाने की लत में मिली ‘अपनों की बेवफाई ‘

पैसा ज़िंदगी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है उसके  बिना ढंग से जीवन यापन नहीं किया जा सकता. इस कटु सच्चाई को हम झुठला नहीं सकते .मगर कम समय में और गलत तरीकों से ज्यादा पैसा कमाए जाने का कभी कभी इतना बड़ा खामियाजा  भुगतना पड़ता है कि खासी दुनियां और अपने बेगाने तक हो जाता हैं  यही मर्म है  निर्माता पियूष शाह और  अष्ठविनायक इंटरप्राइसेस कृत फिल्म ‘अपनों से बेवफाई ‘. सार्थक सिनेमा के पक्षधर और बामक़सद फिल्मों के दिग्गज अभिनेता  इरफ़ान की इस आखिरी  फिल्म का.विशाल  मुम्बईया फिल्मों का एक बेह्तरीन एक्टर है मगर उसके बड़े बड़े ख्वाब और कम समय में सुपर स्टार बनने की चाह और झटके में अमीर बनने के नशे को कुदरत का  ग्रीन सिंग्नल नहीं मिला लम्बे चौड़े खर्चों की वजह से उसकी ज़िंदगी एक हाशिये पर आकर रुक जाती है .जिसकी वजह से उसका फ्रस्टेशन बढ़ जाता है...
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सरकारी व्यवस्था और फ़र्ज़ के बीच मार्मिक जंग ‘चट्टान’

पीढ़ी दर पढ़ी ऑडियंस की नई खेप में फ़िल्में  देखने का नज़रिया एकदम बदल गया है. अब उन्हें स्टार नहीं कंटेंट निहित फ़िल्में ही  चाहिए यही पक्की वजह रही कि उलजुलूल कंटेट वाली  और टॉप स्टारर ठगस ऑफ़ हिंदुस्तान’ (अमिताभ बच्चन, आमिर खान) शमशेरा (रणवीर कपूर) पृथ्वी राज (अक्षय कुमार ) pr जैसी फिल्मों को समूचे भारत और  विदेशों तक की ऑडियंस ने खुले तौर  पर नकार  दिया जिससे फिल्म. इंडस्ट्री की इकनोमिक साख तक गड़बड़ा गई और फिर एक बार स्टार सिस्टम की वैल्यूज गिर गई और कंटेंट वाली फिल्मों की  डिमांड ने बॉलीवुड और ऑडियंस में जोर पकड़ लिया .लगातार बड़े बैनर्स और स्टारर फिल्मों के लगातार फ्लॉप होने वजह से नई नई टेक्नोलॉजी और कीमती कैमरे और ड्रोन्स से बढ़ते बोझ से फिल्मकारों की सोच बदली और उन्होंने मिडिल स्टारकास्ट और बढ़िया  कंटेंट वाली फ़िल्में बनानी शुरू कर दी  जिसके फलस्वरूप ‘प्यार का पंच नामा ‘कश्म...